टॉफी और खट मिट्ठी गोलियों के नुक़सान।
•टाफियों और खट मिट्ठी गोलियों के नुक़सान
अक्सर बच्चे टॉफीयां, खट मिट्ठी गोलियां, चॉकलेट, आदि तरह- तरह की रंग बिरंगी मीठी चीज़ें खाने के शौकीन होते हैं लेकिन इन चीज़ों के घटिया होने और इनके खाने में बे एहतियाती बरतने के सबब इनके दांतों, गले, सीने, मेदे और आंतों वगैरह को नुक़सान पहुंचाने का ख़तरा रहता है। यदि आप अगर अपने बच्चों के भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचाना चाहते हैं तो उन्हें इस तरह की बाजारू घटिया चीज़ों से ज़रूर बचाएं।
• दांतों की टूट फूट
• मूंह में छाले गले में सोज़िश
टॉफियां वगैरह खाने के बाद बच्चे अक्सर दांत साफ़ नहीं करते जिसकी वजह से मिठास दांतों में जम जाती है और जरासीम पलने शुरू हो जाते हैं जो कि दांतों में कीड़ा लगने, मूंह में छालों और गले में तकलीफ़ का सबब बनते हैं।
•नाक़िस खट मिट्ठी गोलियों की तबाही
अक्सर गली महल्लों में बिकने वाली टॉफियां और खट मिट्ठी गोलियां नाक़िस और घटिया होती हैं।
•केक, बिस्किट, आइस्क्रीम वागैरह से पेशाब में शकर आने का मरज़
बिस्किट, आइस्क्रीम और एनर्जी ड्रिंकस में मिठास के लिए स्तेमाल होने वाले कैमिकल दुनिया भर में डायबिटीज़ का बाइस बनते हैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी बरतानिया में की गई तहकीक के मुताबिक़ फूड प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्टस को मीठा बनाने के लिए ऐसा केमिकल इस्तेमाल करती हैं जो पेशाब में शकर आने का बाइस बनता है। तहकीक में 42 देशों में बनाए जाने वाले बिस्किट, केक और ज्यूस का कीम्याई तजज़िया किया गया, कीमयावी मद्दे "हाई फ्रुक्टोज़ सिरप"(यानी शकर की एक क़िस्म) से पेशाब में शकर का मरज़ लाहिक़ होने का खतरा बढ़ जाता है। तहकीक के मुताबिक़ जिन देशों में बेकरी की चीज़ें ज़्यादा इस्तेमाल की जाती हैं वहां लोगों में मरज़ की शरह 8% ज़्यादा थी । बेकरी के प्रोडक्ट्स स्तेमाल करने वाले देशों में अमरीका सरे फहरिस्त है जहां हर शख़्स सालाना औे-सतन (average) 55पाउन्ड मीठी चीज़ें स्तेमाल करता है। जबकि बरतानिया में इसका स्तेमाल सबसे कम है। जहां एक शख़्स औे-सतन एक पाउन्ड बेकरी की चीज़ें स्तेमाल करता है।
(दुनिया न्यूज़ ऑन लाइन)
•17 क़िस्म की बीमारियों का ख़तरा
चॉकलेट में दीगर अज्ज़ा के इलावा कैफ़ीन (caffeine) पाई जाती है, मिल्क चॉकलेट के मुकाबले में काले चॉकलेट में चार गुना ज़्यादा कैफ़ीन होती है। कैफ़ीन वक्ती तौर पर दर्द और थकन वगैरह को दूर करती है मगर इसका ज़्यादा स्तेमाल नुक़सान देह होता है। कैफ़ीन के आदि लोगों में येह मरज़ पैदा हो सकते हैं: थकन, चिड़चिड़ा पन, बार-बार पेशाब आना, पेशाब और फुज़ले के ज़रिए कैलशियम ज़्यादा निकल जाना, हज़िमे की खराबियां, बड़ी आंत में सूजन, बवासीर की शिद्दत, दिल की धड़कन में इज़ाफ़ा और हाई ब्लड प्रेशर, दिल की जलन, मेदे का अल्सर, नींद के अंदाज़ और औेक़ात की तब्दीलियां (यानी कभी नींद ज़्यादा आना कभी कम, बे वक़्त नींद अना, सोने के वक़्त में नींद ना आना मामूली से शोर से आंख का खुल जाना वगैरह) पूरे या अधे सर में दर्द,घबराहट, मायूसी, (डिप्रेशन) जिगर (Liver) और गुर्दे की बीमारियां वगैरह चॉकलेट के इलावा कोला ड्रिंक्स, चाए, कॉफ़ी, कोको और दर्द दूर करने वाली गोलियों में भी कैफ़ीन पाई जाती है
(तिब की किताब "क़ातिल गीजाएं" से माखूज़)
•तो फिर बच्चों को क्या खिलाएं?
सेहत के लिए खतरा बनने वाली खट मिट्ठी गोलियों टॉफीयों वगैरा की जगह बच्चों को इनकी उम्र वगैरा के लिहाज़ से मुनासिब मिकदार में या डॉक्टर के मशवरे से फल और ड्राई फ्रूट खिलाएं और आप ख़ुद भी अल्लाहعزوجل की दी हुई इन नेमतों से फ़ायदा उठाएं।
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