पान और गुटखा (paan and gutka)
पान और गुटखा
पान बेल का एक पत्ता है इन्सानी जिस्म पर पान की तासीर "गर्म ख़ुशक" है, इसमें Vitamin B Complex होता है।
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paan and gutka in hindi |
आइये जानते हैं कम अज़ कम पान के 11 फ़ायदे।
1. पान का पत्ता खाया जाए तो बदन में ख़ून बनाने में मदद करता है।2. दिल को फ़रह़त देता है
3. जिगर मे'दा और दिमाग़ को ताक़त देता है
4. म़ूह की ख़ुशकी दूर करता है
5. गला साफ़ करता है
6. पान का कोरा पत्ता चबाने से दांतों का दर्द दूर होता है।
7. मूंह की बदबू दूर होती है।
8. येह खाँसी ज़ुकाम और थकन दूर करता है।
9. खाना हज़्म करने में मददगार है, और हां नहार म़ूह खाने से भूख कम करता है।
10. पान में क्लोरोफ़िल होता है इसी वजह से इसका रंग हरा होता है और येह सिर्फ़ पत्तों में होता है। क्लोरोफ़िल इन्सानी जिस्म के लिए ताक़त बख़्श होता है।
11. पुराने ज़माने में मूंह का ज़ायक़ा ठीक करने के लिए पान स्तेमाल किया जाता था, अब भी पान का कोरा पत्ता खाकर इसके फ़यदे हासिल किये जा सकते हैं। रिवाज के के तौर पर पान के अहम अज्ज़ा कत्था, चूना और डली हैं।
लिहाज़ा इनके बारे में भी मुख़्तसरन मालूमात हज़िरे ख़िदमत हैं:
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paan and gutka in hindi |
कथ्था क्या है?
कथ्था एक ख़ास दरख़्त की लकड़ीयों का निचोड़ है असली कथ्थे की इन्सानी जिस्म पर "ठन्डी ख़ुशक" तासीर है।कथ्थे के छ: फ़ायदे
1. कथ्था ख़ून साफ़ करता है ।2. दस्त बंद करता है।
3. ख़ून और जिगर के ग़ैर ज़रूरी माद्दे को निकालने में मदद करता है ।
4. बल्ग़म और ख़ून के फ़साद को दूर करता है।
5. पेशाब की जलन को मिटाता है
6. इसके ग़रारे मूंह के छालों के लिए फ़ायदेमन्द हैं।
सूखी खाँसी का इलाज
असली कथ्था, हल्दी और मिसरी तीनों को हम वज़न पीस लीजिये और सुब्हो शाम एक एक ग्राम स्तेमाल करिये
इन्शा अल्लाह सूखी खाँसी में राहत पाएंगे।
फ़ायदेमन्द मन्जन
असली कथ्था और डली हम-वज़्न पीस कर दांतों पर मलने से हिलते हुए दांत मज़बूत होते हैं और मसूढ़ों की सूजन भी ठीक हो जाती है।
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नक़ली कथ्थे के नुक़सान
बहुत से दौलत के लालची लोग जिन्हें लोगों की दुनिया और अपनी आख़िरत बर्बाद होने की फ़िक्र नहीं होती वोह मिट्टी में चमड़ा रंगने का रंग मिलाकर उसी मिट्टी को कथ्था कह कर बेचते हैं! और इस तरह से बेचारे पान के शौकीन गंदी मिट्टी खाकर तरह तरह के मरज़ का शिकार होते हैं और सख़्त बीमारी मोल लेते हैं। खाना ही हो तो असली कथ्था मुनासिब मिक़दार (मात्रा) में खाएं, जानबूझकर नक़ली कथ्था हरगिज़ ना स्तेमाल करें। नक़ली कथ्थे के व्यापारी और नक़ली कथ्थे वाला पान गुटखा धोके से बेचने वाले इससे सच्ची तौबा करें, और जानबूझकर मिट्टी खाने वाले भी बाज़ आएं।
चूना क्या है ?
चूने के फ़ायदे
छालिया (डली) क्या है ?
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paan and gutka in hindi |
ज़बान का कैंसर
ज़बान पर क़ुदरती तौर पर ख़ास ज़र्रात होते हैं जिनमें क़ूव्वते ज़ायक़ा होती है, इन ज़र्रात के ज़रिये ज़बान की नोक से मिठास का और ज़बान के बीच के हिस्से से कड़वाहट और नमक वग़ैरा का ज़ायक़ा मालूम होता है। पान, छालिया, गुटखा, खुशबू दार सुपारी, मेनपुड़ी और तम्बाकू वग़ैरा का खूब स्तेमाल ज़बान के उन क़ुदरती ज़र्रात का ख़तिमा कर देता है जिस के सबब खाने पीने का ज़ायक़ा और ठन्डे गर्म का पता नहीं चलता। पान, छालिया, गुटखा और तम्बाकू वग़ैरा के ज़ियादा स्तेमाल से ज़बान के अगले दो तिहाई (2/3) हिस्से में कैंसर हो सकता है जो कि और फैल कर ग़िज़ाई नाली को बंद कर सकता है। इस कैंसर का डाॅक्टरी इलाज यही है कि ज़बान काट दी जाए। इसके बाद आदमी खाना खा सकता है ना ही बात कर सकता है।
मसूढ़ों का कैंसर
ख़ूब कसरत से गुटखा वग़ैरा खाने वालों के मसूढ़े आमतौर से फूले रहते हैं और अक्सर उनसे ख़ून रिस-रिस कर पेट में जाता और तरह-तरह की बीमारीयां लाता है। अगर पान गुटखे की अब भी मुसलसल आदत जारी रहती है तो फिर आमतौर पर नीचे के फूले हुए मसूढ़ों का कैंसर हो जाता है।
दांतों का वक़्त से पहले गिर जाना
वक़्त से पहले दांतों के गिरने की कई वजह हैं। एक तहक़ीक़ी आ'दाद व शुमार में वक़्त से पहले ही जिन लोगों के दांत गिर गये थे उनमें से 50 फ़ीसद लोग पान छालिया के आदी थे। पान छालिया की वजह से जिसका कोई दांत गिर जाए और वोह फिर भी अपनी आदत से बाज़ ना आए तो इस बात का 90 फ़ीसद ख़तरा है कि उसके मसूढ़ों में कैंसर हो जाए!
पान गुटखा और होटों का कैंसर
होंटों का कैंसर उमूमन 30 से 70 बरस तक की उम्र में होता था मगर अब पान छालिया और गुटखा वग़ैरा का स्तेमाल बढ़ जाने के सबब 10 से 20 साल तक की उम्र में भी होने लगा है।
पान गुटखा और मूंह के गोश्त का कैंसर
पान गुटखा और मूंह का कैंसर
अगर असली कथ्था लगाकर अच्छी क़िस्म की छालिया की तीन चार टुकड़ियों के साथ कभी कबार पान खा लिया जाए तो हरज नहीं, मगर मशवरतन अर्ज़ है कि कभी कबार भी खाने से बचिए, अगर कहीं चस्का लग गया तो मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि कसरत से पान गुटखा खाने से मुसीबत खड़ी हो सकती है।
हर पान या गुटखा खाने वाला अपने मूंह का ज़रूर इम्तिहान ले क्योंकि इसका ज़ियादा स्तेमाल मूंह के नर्म गोश्त को सख़्त कर देता है जिसके सबब मूंह पूरा खोलना और ज़बान को होंटों के बाहर निकालना दुशवार हो जाता है। चूने का मुसलसल स्तेमाल मूंह की जिल्द (Skin) को फाड़ कर छाला बना देता है और यही मूंह का अल्सर है।
पान, गुटखा, ख़ुशबूदार सौंफ़, सुपारी, छालिया, मैनपुड़ी, तम्बाकू वग़ैरा के सबब ज़ियादा तर लोगों को मूंह का अल्सर होने लगा है। शुरू शुरू में जब मूंह में छाले पड़ते हैं तो हफ़्ते दो हफ़्ते में ठीक हो जाते हैं अगर एह़तियात़ ना की जाए तो दोबारा पड़ जाते हैं और तकलीफ़ की शिद्दत बढ़ा देते हैं। ऐसे शख़्स को छालिया, गुटखा, मैनपुड़ी वग़ैरा से फ़ौरन अपनी जान छुड़ा लेनी चाहिए वरना यही छाले आगे चलकर कैंसर की शकल ले सकते हैं।
मूंह के कैंसर की अलामत
पान, छालिया, गुटखा, ख़ुशबूदार सुपारी, और रंग बिरंगी मीठी गोलियां, हुक़्क़ा तम्बाकू, चुरट ( यानी सिगार। बड़ा सिगरेट जो तम्बाकू का पत्ता लपेट कर बनाया जाता है ), मीठी छालिया वग़ैरा सब ख़तरनाक चीज़ें हैं, इनकी आदत छोड़ देने में ही भलाई है। वरना ख़ुदा ना ख़वास्ता मूंह का कैंसर हो गया तो सर पटख़ पटख़ कर रोने से भी मामला ह़ल नहीं होगा।
मूंह के हर तरह के कैंसर की अलामत नोट कर लीजिये : पहले पहल ज़बान बाहर निकलना बन्द हो जाती है, मूंह से बदबू आती है, मसूढ़ों से ख़ून रिसता है, बोलने और खाने पीने में दिक़्क़त होती है और वक़्त से पहले दांत गिरना शुरू हो जाते हैं। याद रखिये! हर तरह का कैंसर फैलता है। मूंह का कैंसर फैल कर गले की तरफ़ बढ़ता और बिल-आख़िर ग़िज़ा और साँस की नाली बन्द हो जाती है और फिर मरीज़ मौत के घाट उतर जाता है।
पान गुटखा और पेट का कैंसर
येह भी ग़ौर फ़रमाइये कि जो चूना मूंह के गोश्त को फाड़ सकता है वोह पेट के अन्दर जाकर ना जाने कौन कौन सी तबाही मचाएग। चूना आंतों और मे'दे में भी बाज़ औक़ात ख़राश, हल्का सा ज़ख़्म लगा देता है इसी को अल्सर कहते हैं। फ़ौरन ही इसका पता नहीं चलता। जब येह बढ़ जाता है तब कहीं मालूम होता है। यही अल्सर आगे बढ़ कर पेट के कैंसर का रूप धार सकता है।
पान या गुटखा और गले का कैंसर।
पान गुटखा कसरत से खाने वाले की पहले आवाज़ ख़राब होती है और गला बीमार हो जाता है, अगर वोह इस तकलीफ़ पर ध्यान ना देकर पान या गुटखे से अपनी जान नहीं छुड़ाता तो बढ़ते बढ़ते गले के कैंसर तक नौबत पहुँच जाती है। कहा जाता है : गले के कैंसर के मरीजों में से 60 से 70 फ़ीसद% तक की ता'दाद पान या गुटखा खाने वालों की होती है।
पान गुटखा और गुर्दे की पथरी व कैंसर
आज कल गुर्दे की पथरी की बीमारी आम है। इसका एक सबब छालिया और चूना भी है। गुर्दे की पथरी की जब तशख़ीश ( EXAMINE ) की जाती है तो अक्सर उसमें कैल्शियम ( यानी चूने ) की मात्रा ज़ियादा होती है। ह़त्ता कि बसाऔक़ात पथरी में छालिया के अज्ज़ा भी मौजूद होते हैं। जो लोग मज़े ले ले कर गुटखा और तरह तरह की ख़शबू दार सुपारी खाते हैं उन से गुज़ारिश है कि : एक डाॅक्टर के बयान के मुताबिक़ गुर्दे में 80% पथरी छालिया के सबब होती है। गुर्दे फ़ेल हो जाना या इसमें कैंसर हो जाना पान गुटखे को कसरत से स्तेमाल करने के नुक़सानात में से है।
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